किसान महापंचायत क्या है क्यों आयोजित की जाती है

Kisan Mahapanchayt ka Ayojan

किसान महापंचायत क्या है :  जबसे किसान आन्दोलन 2021 चल रहा है तो लोग अक्सर यह सुनते है या पढ़ते है कि अमुक जगह पर किसान महापंचायत का आयोजन किया जा रहा हैI या वहां पर किसान महापंचायत में लाखों किसानो ने भाग लिया, किसानो ने सरकार के सामने अपनी बात रखने के लिए किसान महापंचायत का आयोजन कियाI

 लेकिन यहाँ पर यह जान लेना जरूरी है कि भारत के किसान महापंचायतों का आयोजन क्यों करता है, महापंचायत के द्वारा क्या हासिल होता हैI किसानो के द्वारा किस सम्बन्ध में महापंचायत को बुलाया जाता हैI

किसान महापंचायत क्या है

क्या होती है किसान महापंचायत? जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है किसान महापंचायत में किसानो के द्वारा किसानो के लिए अपनी बात रखने या किसी भी मामले की जानकारी देने के लिए किसान समूह के आयोजन को किसान महापंचायत कहा जाता हैI

आज के समय में जब Internet के समय में जब सूचनाओ का आदान प्रदान बहुत जल्द और कम समय में हो जाता है तब महापंचायत में किसानो की भारी मात्रा में उपस्थिति होती है! परन्तु जब यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी तक किसान पोस्टर बैनर पर्चे के माध्यम से सूचना दी जाती थी!

किसान महापंचायत का आयोजन काफी समय से होता चला आ रहा है जिसके माध्यम से एक बार और कम समय में बहुत सारे किसानो तक सूचना को पहुचाया जाता हैI किसान महापंचायत के द्वारा किसी भी किसान आन्दोलन की दसा और दिशा का निर्धारण किया जाता है, और यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि कितने किसान उस बात से सहमती जताते है जिसके जिए उस पंचायत का आयोजन किया जा रहा है!

पंचायत का इतिहास : History of Mahapanchayat

Mahapanchayat kisan का इतिहास काफी पुराना है हिन्दू धर्म ग्रंथो में इसका उल्लेख मिलता है! पहले पंचायत के द्वारा ही गाँव समाज के सारे विवादों का निपटारा किया जाता था, क्योकि न्याय व्यवस्था की प्रणाली यही थी और लोगो की आसानी से इस तक पहुँच भी थीI

पंचायत में किसी भी फैसले के लिए पांच पंचों को चुन लिया जाता था जिनके फैसले को सर्वमान्य किया जाता था! और पंचों को परमेश्वर के सामान दर्जा दिया जाता था इस लिए इनका दूसरा नाम पंचपरमेश्वर भी है!  

शुरू -शुरू में , ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ काल से भी पहले, पंचायत किसी क्षेत्र में चुने पांच प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक निकाय होती थी।इसका निश्चित क्षेत्र एक गाँव हुआ करता था।गाँव इसलिए कि यह एक स्वाभाविक और मूल इकाई थी।गाँव इसलिए भी कि इसके ऊपर की सभी इकाइयों का रूप बदलता रहता।देश और राज्य की सीमाएं बड़ी-छोटी होती रहीं।भाषा और सत्ता के आधार पर देश और राज्य की व्यवस्था में परिवर्तन होता रहा, पर गाँव आज भी एक स्थिर इकाई बना रहा।भौगिलिक एवं सामाजिक दोनों तरह से यह इन सभी बदलावों से अछुता रहा। [sores]

अंग्रेजो के शासन कला में भी विभिन्न पंचायतो का स्वरुप मिलता है जोकि अपने जाति, वर्ग, संप्रदाय का नियंत्रण करती थी!

परन्तु आजादी के बाद प्रजातंत्र में उसी पंचायत को दूसरा स्वरूप दे दिया गया है, और इसका न ग्राम पंचायत कर सिया गया है! इस ग्राम पंचायत के प्रमुख ग्राम प्रधान या मुखिया कहा जाता है!

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पंचायती राज विभाग का गठन इसी उद्देश्य के लिए किया गया था कि गावों तक मूलभूत सुविधाओ की पहुच समुचित तरीके से बनी रहे तथा उसमे स्पष्टता रहे इसलिए कई गावों को मिलकर ग्राम पंचायत और कई ग्राम पंचायतों को मिलकर न्याय पंचायत के स्वरुप दिया गया!  

वैदिक काल में भी पंचायतों का अस्तित्व था। ग्राम के प्रमुख को ग्रामणी कहते थे। उत्तर वैदिक काल में भी यह होता था जिसके माध्यम से राजा ग्राम पर शासन करता था। बौद्धकालीन ग्रामपरिषद् में “ग्राम वृद्ध” सम्मिलित होते थे। इनके प्रमुख को “ग्रामभोजक” कहते थे। परिषद् अथवा पंचायत ग्राम की भूमि की व्यवस्था करती थी तथा ग्राम में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में ग्रामभोजक की सहायता करती थी। जनहित के अन्य कार्यों का संपादन भी वही करती थी। स्मृति ग्रंथों में भी पंचायत का उल्लेख है। कौटिल्य ने ग्राम को राजनीतिक इकाई माना है।[Sores]

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Kisan mahapanchyat का आयोजन क्यों होता है

किसान महापंचायत में किसानो को बुलाने का मुख्य उद्देश्य किसानो की समस्याओं को एक दूसरे से साझा करना, प्रशासन को अपनी समस्याओं और परेशानियों से अवगत कराना, तथा अपनी किसान एकता को मजबूती के साथ दिखाना प्रमुख है!

किसान पंचायत की तरह से किसान आन्दोलन का हिंदुस्तान में अपना एक स्वर्णिम इतिहास रहा है और जब भी किसान के खिलाफ या किसान से सम्बंधित कोई मुद्दा बनता है तो किसान बढ़ी भारी संख्या में इसमें भाग लेता है!

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