भारतीय किसान को कृषि पर सब्सिडी

किसान आंदोलन सीरीज की यह दूसरी पोस्ट है, जिसमे हम बताने वाले है कि भारतीय किसान को कृषि पर सब्सिडी कितनी मिलाती है आखिर सरकार पर किसका दबाव है! कि वह इन तीन कानूनों को लेकर आई और किसान को किस बात की आशंका है, जो वह इन कानूनों का विरोध कर रहा है और इनको रद्द करने की मांग लगातार कर रहा है!

सरकार क्यों लेकर आई कानून

सरकार इस कानून को क्यों लेकर आई इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए हम आपको 19 साल पहले किए गए समझौते के बारे में बताते हैं!

 19 साल पहले दोहा कतर में एक सम्मेलन हुआ जो WTO यानी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (Word Tread Organigetion) के तत्वाधान में संपन्न हुआ! Word Tread Organigetion वह समूह है, जिसे हिंदी में विश्व व्यापार संगठन कहा जाता है!

 इस सम्मेलन में सभी  विकसित एवं विकासशील देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था, जिसमें यह सहमति बनी थी किखेती पर दी जाने वाली सब्सिडी को धीरे धीरे समाप्त किया जाएगा!

 विश्व व्या पार संगठन के जी GATT के आर्टिकल 6 मे यह प्रावधान निर्धारित किया गया कि अगर कोई उत्पाद अपने सामान्य मूल्य पर निर्यात किया जाता है तो उसकी डंपिंग नहीं होगी!

 यह भी कहा गया कि यूरोपीय संघ और अमेरिका कृषि मूल्य में जो भी हस्तक्षेप करता है, या उसका जो मूल्य तय करता है वह वास्तविक बाजार मूल्य नहीं होता है!

सरकारों द्वारा तय किए गए मूल्य के कारण प्रशासनिक मूल्य कम हो गए हैं, इसलिए किसानों को प्रत्यक्ष सहायता के साथ उनको प्रदान की जाने वाली सब्सिडी को खत्म कर दिया जाए!

और  इसमें कृषि पर समझौता यानी  AOA  मैं यह भी कहा गया है की सभी कृषि घरेलू सब्सिडी और डंपिंग के लिए मुकदमा भी चलाया जा सकता है!किसानों को सब्सिडी इस लिए दी जाती थी के किसानों को हुए नुकसान की भरपाई सरकारों द्वारा सब्सिडी के रूप में डायरेक्ट प्रदान की जाती थी

 लेकिन कृषि क्षेत्र पर पढ़ने वाली इसके दुष्प्रभाव को देखते हुए 12 जून 2003 को रिचर्ड एच इस टाइम वर्क और टिमोथी ने गहन अध्ययन करके यह निर्णय लिया की विशेष परिस्थितियों में सब्सिडी प्रदान की जा सकती है!

 सब्सिडी को जारी रखने के लिए वहां पर तीन बॉक्स बनाए गए हैं जिन्हें एम्बर, बॉक्स ब्लू बॉक्स, और ग्रीन बॉक्स का नाम दिया गया!

 ब्लू बॉक्स का मतलब होता है आवश्यकता पड़ने पर कुछ Subsidy दी जा सकती है और ग्रीन बॉक्स का उपयोग जितनी चाहे इतनी सब्सिडी कोई भी देश प्रदान कर सकता है!

भारतीय किसान को कृषि पर सब्सिडी

भारत कितनी सब्सिडी देता है

 क्या भारत विश्व में सभी देशों से ज्यादा सब्सिडी किसान को प्रदान करता है? भारत के किसान को कितनी सब्सिडी दी जाती है? क्या किसान के लिए दी जाने वाली सब्सिडी पर्याप्त है? अथवा क्या इतनी सब्सिडी पाकर भारत का किसान आत्मनिर्भर बन पाएगा? इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हैं हम आपको यहां पर बताने वाले हैं कौन-कौन से देश अपने  देश के किसानों को सब्सिडी प्रदान करते हैं? और कितनी सब्सिडी दी जाती है?

 अमेरिका का तर्क है की सब्सिडी केवल 10 वर्षों के लिए दी जाए क्योंकि अगर फसल पर सब्सिडी दी जाएगी तो खुले मार्केट में कंपटीशन समाप्त हो जाएगा!

 लेकिन आपको बता दें कि अमेरिका ही वह देश है जो अपने देश के किसानों को सबसे ज्यादा सब्सिडी प्रदान करता है तो आइए जानते हैं कि कौन सा देश अपने देश के किसानों को प्रतिवर्ष कितनी सब्सिडी देता है?

 यह जो आंकड़े दिए जा रहे हैं वह सन 2017 के हैं

भारत ₹15,674

ब्राजील ₹25,900

चीन ₹59,605

यूरोप ₹4.67 लाख

जापान ₹7 लाख

कनाडा ₹11.44 लाख  

अमेरिका ₹41.88लाख की सब्सिडी प्रदान की जाती है

और यहाँ यह भी बताना जरूरी हो जाता हैं कि अमेरिका की सालाना वार्षिक कृषि आय 14 लाख रुपए हैं!

 भारत में खेती के लिए किन चीजों पर सब्सिडी दी जाती है

भारत में लगभग सब्सिडी किसान को परोक्ष रूप से दी जाती है, कुछ विषयों में जैसे कृषि यंत्र खरीदने या कुछ अन्य मामलों में प्रत्यक्ष सब्सिडी दी जाती है! जैसे तत्कालीन सरकार ने किसानों को किसान सम्मान निधि योजना के तहत प्रत्येक माह ₹500 प्रति परिवार देने की योजना शुरू की है, जोकि किसानों के लिए प्रत्यक्ष रूप में उनके खातों में दी जाती है इसके अलावा खाद बीज  आदि पर परोक्ष रूप से भी सब्सिडी प्रदान की जाती है!

किसान को किस बात की आशंका है

किसान को किस बात की आशंका है

   नए कृषि बिल को लेकर के किसान को यह आशंका है कि जिस प्रकार अमेरिका और यूरोप में खेती को प्राइवेट सेक्टर में दे दिया गया, और वहां पर कुछ कंपनियों ने एकाधिकार कर लिया लेकिन उसका भुगतान वहां की सरकार किसानों को सब्सिडी के रूप में देती रहती है!

 लेकिन यहां पर कृषि आय भी उतनी नहीं है, और सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सब्सिडी भी पर्याप्त नहीं है तो इस अवस्था में अगर खेती का निजीकरण कर दिया गया तो किसान की दशा और खराब हो जाएगी!

 अमेरिका में चार कंपनियां है जो कृषि क्षेत्र को कंट्रोल करती है या कृषि क्षेत्र पर अपना कब्जा जमाए हुए हैं इन कंपनियों को हम अंग्रेजी में ABCD भी कह सकते हैं!

इन कंपनियों का फुल फॉर्म है

A का मतलब आर्चर डैनिएल्स मिडलैंड

B का मतलब बूंग

C  का मतलब करगिल

D  का मतलब ड्यूपॉन्ट

 यह वही चार कंपनियां हैं जो यूरोप और अमेरिका के पूरे कृषि क्षेत्र पर नियंत्रण करती हैं यही आशंका भारतीय किसानों को भी है और जो कि जायज है कहीं हमारी दशा भी ऐसी ना हो जाये! क्योंकि यहां पर औसतन जोत 2 हेक्टेयर के लगभग है जो कि कम है और छोटे किसानों की संख्या ज्यादा है जिन्हें डर है की इसका प्रभाव उनकी खेती पर पड़ेगा

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 तो दोस्तों आप हमें बताएं कि आपको यह जानकारी कैसी लगी क्या आप भी किसानों की बातों से सहमत हैं कमेंट जरूर करें!

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