कैकेयी का चरित्र चित्रण – लड़की का नाम कैकेयी क्यों नहीं रखते

रानी कैकेयी ने राम को वन क्यों भेजा इसके बारे में जानने से पहले कैकेयी का चरित्र चित्रण के माध्यम से कैकेयी के पिता, माता जन्म स्थान की विस्तार पूर्वक जानकारी ले लेते है!

कैकेयी कैकेय देश के राजा अश्वपति की पुत्री थी इनकी माता का नाम शुभलक्षणा था! अयोध्या के राजा दशरथ के इनका विवाह हुआ था! यह राजा दशरथ की सबसे प्रिय और छोटी रानी थी! पुराणों में कथा आती है, की देवासुर संग्रम में देवराज इंद्र की तरफ से देवताओ की सहायता हेतु अपने पति महाराज दशरथ युद्ध के लिए जाते है! इस युद्ध में इनकी सहायता हेतु रानी कैकेयी भी राजा के साथ जाती है!

बहुत भयानक युद्ध छिड जाता है और दशरथ युद्ध में घायल होकर मूर्छित हो जाते है! किकेयी ने अपने पराक्रम के बल से राजा के प्राणों की रक्षा करते हुए रथ सहित उन्हें युद्ध स्थल से बहार निकाल लाती है!

रानी के इस वीरता से खुश होकर राजा दशरथ कैकेयी से कोई दो मनचाहे वारदान मांगने को कहते है! परन्तु रानी ने उस समय वरदान न मांगकर भविष्य में जब भी जरूरत पड़ेगी मांगने के लिए छोड़ देती है!

कैकेयी के पिता का नाम राजा अश्वपति
कैकेयी की माता का नाम शुभलक्षणा
कैकेयी का जन्म स्थान (मायका)कैकेय राज्य
कैकेयी के पुत्र एक – नाम भरत
कैकेयी के पुत्री नहीं
पति का नाम राजा दशरथ
कैकेयी के दो वरदान (वचन)1 – पुत्र भरत को राजगद्दी
2 – राम को चौदह वर्षो का वनवास

राम को वन क्यों भेजा

कैकेयी ने राम के लिए वनवास क्यों माँगा! कैकेयी का चरित्र चित्रण इसी भावना को प्रदर्शित करता है! कैकेयी का चरित्र चित्रणवन भेजने के पीछे के वास्तविक उद्देश्य और कारण का वर्णन पुराणों में आता है! रामायण में राम को सबसे ज्यादा प्यार और स्नेह देने वाला पात्र कोई है तो वह है माता कैकेयी! आपने रामायण में पढ़ा होगा  कि इनका मात्र एक पुत्र भरत जो ननिहाल तो जाता था परन्तु राम को नहीं सुना होगा राम ननिहाल गए!

इसमें सबसे मुख्य कारण यही था कि कैकेयी अपने पुत्र का वियोग तो बर्दास्त कर सकती थी! परन्तु उनका राम उनकी नजरो से दूर रहे यह कैकेयी सहन नहीं कर सकती थी!

राम को वन भेजने का कारण

एक समय जब राम बहुत छोटे थे उम्र यही 5, 7 वर्ष रही होगी राम को कैकेयी महल में अपने हाथो से भोजन करा रही थी! भोजन को करते – करते राम की आँखों में आंसू आ जाते है, राम की आँखों में अश्रु देखकर कैकेयी का मन विचलित हो उठता है! कैकेयी पूछती है कि “पुत्र कोई कष्ट है किसी ने कुछ कहा क्या हमसे कोई गलती हो गयी!” राम कहते है ऐसी कोई बात नहीं है! कैकेयी जब जोर देकर पूछती है तो राम बताते है कि “माता धरती पर हमारा अवतार पापियों के विनाश हेतु हुआ है! और इस यह कार्य तुम्हारी सहायता बिना संभव नहीं है!”

माता कहती है कि “इसमें रोने वाली क्या बात है अगर हमसे इस सम्बन्ध में कोई सहायता चाहिए तो निःसंकोच तुम कह सकते हो!” राम कहते है “अगर तुम हमें खुश देखना चाहती हो तो तुम्हे एक वचन हमें देना होगा और भविष्य में उस वचन के बारे में कभी किसी से कोई बात नहीं करोगी!”

कैकेयी कहती है “मै वचन देती हूँ की कभी इस बारे में किसी से नहीं कहूँगी!”

राम “माता अगर आप उस वचन का पालन करेंगी तो दुनिया में आपका अपयश होगा! कोई भी हिन्दू अपनी लड़की का नाम कैकेयी नहीं रखेगा!”

माता “ हमें यश नहीं चाहिए बस तुम प्रसन्न रहो!” भगवान कहते है कि अगर तुमने उस वचन का पालन किया तो शायद तुम विधवा भी हो जाओ!” इसमें पिता की म्रत्यु भी हो सकती है! कैकेयी ने कुछ देर सोचने के बाद कहा हमें अपने राम के लिए यह भी मंजूर है!

तब राम ने कहा कि देवासुर संग्राम के दौरान आपको पिता ने दो वरदान दिए थे जिन्हें अपने अभी तक नहीं मांगे है, माता समयोपरांत एक ऐसा अवसर आयेगा तो आप पिता से उन दो वरदानो को मांगेंगी! १- अपने बेटे भरत को अयोध्या का राजतिलक २- राम को चौदह वर्ष का वनवास! राम के मुख से यह सुनते ही माता कैकेयी बेहोश होकर गिर जाती है! होश आने पर राम से कहती है कि तूने जो कहा हमें मंजूर था मगर मेरा राम मुझसे दूर होगा यह मै सहन नहीं कर पाऊँगी!

राम बहुत समझाते है और दिए वचन को याद दिलाते है! उसी दिन से कैकेयी राम से दूर रहने का प्रयास करने लगती है! ताकि भविष्य में उन्हें राम को वन भेजने में उनका ह्रदय कमजोर न हो जाये!

कैकेयी के दो वरदान

       कालांतर में राम के राजतिलक के अवसर पर दासी मंथरा के कहने पर कोपभवन जाकर राज दशरथ से किकेयी अपने बकाया दोनों वरदानो को मांगती है!

१- अपने पुत्र भरत को कौशल का राजतिलक

२- और राम को चौदह वर्षो का वनवास

राम भरत मिलाप और कैकेयी

जब राम वन को चले जाते है और इधर रजा दशरथ कि पुत्र राम के वियोग में म्रत्यु हो जाती है! पिता की म्रत्यु का समाचार पाकर जब भरत और शत्रुघ्न ननिहाल से वापस आते है! तो उन्हें अपने माता के कृत्य पर बहुत दुःख होता है, और राम को मनाने हेतु वन को चल देते है! इनके साथ तीनो मातायें, गुरुजन और अयोध्या के लाखो नर नारी भी साथ हो लेते है!

जब सभी लोग राम के पास पहुचते है तो राम सर्वप्रथम माता कैकेयी के ही चरण स्पर्श करते है! इससे यह सिद्ध होता है कि कैकेयी ने जो भी किया वह समाज, देश और सज्जनों के हित के लिए ही किया और इतना बड़ा बलिदान दिया!

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निष्कर्ष

अंततः कैकेयी का चरित्र चित्रण के माध्यम से हमने कैकेयी के बारे में उन तथ्यों को जानने की कोशिश की! अगर आपके पास भी कोई इससे सम्बंधित कोई जानकारी है तो कमेन्ट बॉक्स में जाकर हमसे शेयर कर सकते है!

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